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Thursday 5 July 2012

मेरी जिन्दगी एक खुली किताब है......!!

ह्रदय के हर पन्ने पर अंकित
प्रिये ! तेरा नाम है ।
चाह कर भी न कर सका पूरी
अधूरी लिखी किताब है
मेरी जिन्दगी एक खुली किताब है।
जब गुजरती है, हवा पास से
खर खरा उठते हैं पन्ने ,
समा जाती है एक भीनी खुशबू
सिर्फ़ तेरे अहसास से ।
आ जाओ अगर तुम प्रिये
सारे बन्धन तोड़ कर
कितनी मधुर हो जायेगी
जिन्दगी की , ये जो किताब है
मेरी जिन्दगी एक खुली किताब है ।
देखता हूँ , जब दूसरो को
दर्द से बेहाल होते हुए
मेरा दर्द तो , कुछ भी नही
जिंदा हूँ, गम को पीते हुए ।
पढ़ लो , अगर ये पन्ने तुम
मजबूर हो जाओगी
लिखी इसमें जो हिसाब है
मेरी जिन्दगी ...... ।
हर किताबों में तुम्हें
मिलेगी , एक अनोखी कहानी
मगर मेरी किताबों में तुम्हें
होंगे एहसास सिर्फ़ आंखों के पानी
लगेगा तुम्हें ज्यों ,आसमान से
बरसा रहा , कोई शराब है
मेरी जिन्दगी ....... ।
सूने पृष्ठ हैं , कोरे पन्ने हैं
दर्द , सिर्फ़ मेरे अपने हैं
क्या करोगी पढ़ कर इन्हें
तुम्हारे तो नशीले सपने हैं ।
हर पत्त्ती कह रही है , दर्द मेरा
गम से मुरझा गया गुलाब है ,
मेरी जिन्दगी एक खुली किताब है ।

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